DETAILS, FICTION AND BEST HINDI STORY

Details, Fiction and best hindi story

Details, Fiction and best hindi story

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घोसले में पहुंचकर चिड़िया ने सभी बच्चों को चावल का दाना खिलाया। बच्चों का पेट भर गया, वह सब चुप हो गए और आपस में खेलने लगे।

नैतिक शिक्षा –  जो दूसरों के दर्द को समझता है उसे दुःख छू भी नहीं पता।

(एक) बड़े-बड़े शहरों के इक्के-गाड़ी वालों की ज़बान के कोड़ों से जिनकी पीठ छिल गई है, और कान पक गए हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि अमृतसर के बंबूकार्ट वालों की बोली का मरहम लगावें। जब बड़े-बड़े शहरों की चौड़ी सड़कों पर घोड़े की पीठ चाबुक से धुनते हुए, इक्के वाले चंद्रधर शर्मा गुलेरी

यह बच्चों के लिए एक दक्षिण भारतीय लोक कथा है

यह बच्चों के लिए एक गुजराती लोक कथा है।

इमेज कैप्शन, मंटो की इस कथा संग्रह में टोबा टेक सिंह, काली सलवार और तमाशा जैसी कई कहानियाँ संकलित हैं.

उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बह रही थी। काफी प्रयत्न कर रही थी, किंतु वह रस्सी से बंधी हुई थी।

इसे अभी कोई बड़ा पैराडाइम शिफ़्ट तो नहीं कह सकते, लेकिन किसी नए कथा-प्रस्थान की आहट ज़रूर सुनी जा सकती है.

चुनमुन के बच्चों ने उड़ना सिखाने के लिए तंग कर दिया।

एक झोंपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए थे और अंदर बेटे की जवान बीवी बुधिया प्रसव-वेदना में पछाड़ खा रही थी। रह-रहकर उसके मुँह से ऐसी दिल हिला देने वाली आवाज़ निकलती थी, कि दोनों कलेजा थाम लेते थे। जाड़ों प्रेमचंद

नैतिक शिक्षा – बच्चों के मनोबल को बढ़ाइए कल के भविष्य का निर्माण आज से होने दे।

‘क्यों बिरजू की माँ, नाच देखने नहीं जाएगी क्या?’ बिरजू की माँ शकरकंद उबाल कर बैठी मन-ही-मन कुढ़ रही थी अपने आँगन में। सात साल का लड़का बिरजू शकरकंद के बदले तमाचे खा कर आँगन में लोट-पोट कर सारी देह में मिट्टी मल रहा था। चंपिया के सिर भी चुड़ैल मँडरा फणीश्वरनाथ रेणु

कुछ बड़ा कर गुजरने की कोई आयु नहीं होती। अपनी प्रतिभा से समाज को भी बदला जा सकता है।

Picture: Courtesy Amazon To start with posted in 1927, this Hindi fiction e book is more info really a poignant exploration of social issues and human thoughts in early 20th-century India. The story revolves round the protagonist, Nirmala, a youthful and innocent bride who will become a sufferer of societal norms, customs, along with the prevailing patriarchy. Premchand skillfully weaves a narrative that delves in to the harsh realities confronted by Gals in a very conservative society. Nirmala’s journey is marked by tragedy, as she navigates throughout the complexities of the dysfunctional marriage, societal expectations, as well as the problems of becoming a girl in that period.

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